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लेखनी प्रतियोगिता -21-Sep-2023 शे'र

        "शेर"

अधूरा दिन अधूरी रात, अधूरे रह गये सभी ख़्वाब। 
ख़बर किसी को ना थी, मेरी ज़िंदगी के क्या है हालात।। 

बड़े सलीक़े से संभाला था, ज़िंदगी के हर अफ़साने को। 
सिसकियों को दबाया था, आह जब होठों से निकली थी।।

खलल पैदा हो रही थी सांसों में, धड़कने कर रही थी शोर बेवजह सी।
इत्मीनान से धड़कनों को समझाया, रख के हाथ दिल की सदाओं पे।।

मधु गुप्ता "अपराजिता" 




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5 Comments

Varsha_Upadhyay

27-Sep-2023 07:52 PM

Nice 👍🏼

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बेहतरीन

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थैंक्स u so much 🙏🙏

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Reena yadav

22-Sep-2023 07:41 AM

👍👍

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🙏🙏💐💐

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